Bhaktamar Stotra Mahima | भक्तामर स्तोत्र महिमा: जानिए इसके चमत्कारी फायदे!

भक्तामर स्तोत्र महिमा एक शक्तिशाली जैन स्तोत्र है, जो भगवान आदिनाथ की महानता और भक्ति की गहराई को दर्शाता है। इसके प्रत्येक श्लोक में अद्भुत आध्यात्मिक और मानसिक लाभ छिपे हैं, जो आपके जीवन में शांति, सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लेकर आते हैं। आचार्य मानतुंगजी द्वारा रचित Bhaktamar Stotra Mahima न केवल भगवान आदिनाथ की महिमा का प्रकाश फैलाता है, बल्कि आपको जीवन की चुनौतियों से निपटने के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा भी देता है।

भक्तामर स्तोत्र महिमा

श्री भक्तामर का पाठ, करो नित प्रातः,
भक्ति मन लाई, सब संकट जाये नशाई॥

जो ज्ञान-मान-मतवारे थे, मुनि मानतुंग से हारे थे।
उन चतुराई से नृपति लिया, बहकाई । सब संकट जाये नशाई॥1॥

मुनि जी को नृपति बुलाया था, सैनिक जा हुक्म सुनाया था,
मुनि वीतराग को आज्ञा नहीं सुहाई । सब संकट जाये नशाई॥2॥

उपसर्ग घेर तब आया था, बलपूर्वक पकड़ मंगवाया था,
हथकड़ी बेड़ियों से तन दिया बंधाई । सब संकट जाये नशाई॥3॥

मुनि काराग्रह भिजवाए थे, अड़तालीस ताले लगाये थे,
क्रोधित नृप बहार पहरा दिया बिठाई। सब संकट जाये नशाई॥4॥

मुनि शान्तभाव अपनाया था, श्री आदिनाथ को ध्याया था,
हो ध्यान मग्न भक्तामर दिया बनाई। सब संकट जाये नशाई॥5॥

सब बंधन टूट गए मुनि के, ताले सब स्वयं खुले उनके,
काराग्रह से आ बाहर दिए दिखाई। सब संकट जाये नशाई॥6॥

राजा नत होकर आया था, अपराध क्षमा करवाया था
मुनि के चरणों में अनुपम भक्ति दिखाई । सब संकट जाये नशाई॥7॥

जो पाठ भक्ति से करता हैं, नित ऋषभ-चरण चित धरता हैं,
जो ऋद्धि-मंत्र का, विधिवत जाप कराई । सब संकट जाये नशाई॥8॥

भय विघ्न उपद्रव टलते हैं, विपदा के दिवस बदलते हैं,
सब मन वांछित हो पूर्ण, शान्ति छा जाई। सब संकट जाये नशाई॥9॥

जो वीतराग आराधन हैं, आत्म उन्नति का साधन हैं,
उससे प्राणी का भव बन्धन कट जाई। सब संकट जाये नशाई॥10॥

कौशल’ सुभक्ति को पहिचानो, संसार-द्रष्टि बंधन जानो,
लौ भक्तामर से आत्म-ज्योति प्रगटाई। सब संकट जाये नशाई॥11॥

भक्तामर स्तोत्र महिमा

श्री भक्तामर का पाठ, करो नित प्रातः,
भक्ति मन लाई, सब संकट जाये नशाई॥

जो ज्ञान-मान-मतवारे थे, मुनि मानतुंग से हारे थे।
उन चतुराई से नृपति लिया, बहकाई । सब संकट जाये नशाई॥1॥

मुनि जी को नृपति बुलाया था, सैनिक जा हुक्म सुनाया था,
मुनि वीतराग को आज्ञा नहीं सुहाई । सब संकट जाये नशाई॥2॥

उपसर्ग घेर तब आया था, बलपूर्वक पकड़ मंगवाया था,
हथकड़ी बेड़ियों से तन दिया बंधाई । सब संकट जाये नशाई॥3॥

मुनि काराग्रह भिजवाए थे, अड़तालीस ताले लगाये थे,
क्रोधित नृप बहार पहरा दिया बिठाई। सब संकट जाये नशाई॥4॥

मुनि शान्तभाव अपनाया था, श्री आदिनाथ को ध्याया था,
हो ध्यान मग्न भक्तामर दिया बनाई। सब संकट जाये नशाई॥5॥

सब बंधन टूट गए मुनि के, ताले सब स्वयं खुले उनके,
काराग्रह से आ बाहर दिए दिखाई। सब संकट जाये नशाई॥6॥

राजा नत होकर आया था, अपराध क्षमा करवाया था
मुनि के चरणों में अनुपम भक्ति दिखाई । सब संकट जाये नशाई॥7॥

जो पाठ भक्ति से करता हैं, नित ऋषभ-चरण चित धरता हैं,
जो ऋद्धि-मंत्र का, विधिवत जाप कराई । सब संकट जाये नशाई॥8॥

भय विघ्न उपद्रव टलते हैं, विपदा के दिवस बदलते हैं,
सब मन वांछित हो पूर्ण, शान्ति छा जाई। सब संकट जाये नशाई॥9॥

जो वीतराग आराधन हैं, आत्म उन्नति का साधन हैं,
उससे प्राणी का भव बन्धन कट जाई। सब संकट जाये नशाई॥10॥

कौशल’ सुभक्ति को पहिचानो, संसार-द्रष्टि बंधन जानो,
लौ भक्तामर से आत्म-ज्योति प्रगटाई। सब संकट जाये नशाई॥11॥

इसके नियमित पाठ से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है और व्यक्ति अपने भीतर शक्ति और ऊर्जा का अनुभव करता है। अगर आप Bhaktamar Stotra Lyrics के साथ इसके श्लोकों का सही उच्चारण जानना चाहते हैं, या Bhaktamar Stotra Anuradha Paudwal द्वारा गाए गए मधुर भजनों का अनुभव करना चाहते हैं, तो ये आपके अभ्यास को और प्रभावशाली बना सकते हैं। साथ ही, इसे Samayik Paath के दौरान शामिल करने से आपका ध्यान और भी केंद्रित होता है और आध्यात्मिक लाभ दोगुना हो जाता है।

पाठ को करने का सरल और प्रभावी तरीका

भक्तामर स्तोत्र का पाठ हमारी आत्मा को शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा देने वाला एक सुंदर अभ्यास है। इसे आप आसानी से अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं। यहाँ इसका सरल तरीका बताया गया है:

  1. शांत और साफ जगह चुनें: पाठ के लिए कोई शांत और स्वच्छ जगह चुनें, जहाँ ध्यान भटकाने वाला कोई तत्व न हो। सुबह का समय सबसे अच्छा होता है, लेकिन आप अपने सुविधा अनुसार कभी भी कर सकते हैं।
  2. शुद्धता बनाए रखें: स्नान करके साफ कपड़े पहनें और अपने मन को शांत करें। जब शरीर और मन दोनों शुद्ध हों, तब पाठ का प्रभाव और भी गहरा होता है।
  3. माला का प्रयोग करें: अगर चाहें तो माला का उपयोग करें। इससे आपकी एकाग्रता बढ़ती है। आप इसे 108 बार या अपनी श्रद्धा अनुसार पढ़ सकते हैं।
  4. सही उच्चारण पर ध्यान दें: श्लोकों को सही तरीके से पढ़ें और शब्दों का अर्थ समझने की कोशिश करें। इससे पाठ का आध्यात्मिक असर बढ़ता है।
  5. श्रद्धा और समर्पण: हर श्लोक के साथ भगवान आदिनाथ के प्रति पूर्ण श्रद्धा और समर्पण का भाव रखें। भक्ति के साथ पाठ करने से मन और आत्मा दोनों प्रभावित होते हैं।
  6. मनन करें: हर श्लोक के बाद थोड़ी देर शांत रहें और उसका अर्थ और जीवन में उपयोग सोचें। यह आपके अंदर सीखने और आत्मसात करने की शक्ति बढ़ाता है।
  7. नियमितता बनाए रखें: पाठ को नियमित रूप से करें। रोज़ाना एक निश्चित समय पर इसे करने की आदत डालें।
  8. धन्यवाद और आशीर्वाद लें: पाठ खत्म होने के बाद भगवान का धन्यवाद करें और आशीर्वाद प्राप्त करें। आप इस समय अपने जीवन में शांति, खुशहाली और संतुलन की कामना कर सकते हैं।

Note – इस सरल और श्रद्धापूर्ण विधि से पाठ करने पर, भक्तामर स्तोत्र आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और मानसिक शांति पाने में मदद करता है। इसे केवल एक धार्मिक क्रिया न मानें, बल्कि इसे अपने आध्यात्मिक अभ्यास का हिस्सा बनाएं।

Bhaktamar Stotra Mahima के प्रमुख लाभ

भक्तामर स्तोत्र केवल शब्दों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में शांति, सकारात्मकता और सफलता लाने वाला दिव्य स्तोत्र है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से कई लाभ होते हैं:

  • आध्यात्मिक शांति: इसका पाठ करने से मन को शांति मिलती है। भगवान आदिनाथ की स्तुति से आंतरिक संतुलन और आत्मिक शांति आती है।
  • रोगों और तनाव से मुक्ति: यह मानसिक तनाव, शारीरिक तकलीफ और रोगों को कम करने में मदद करता है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: भक्तामर स्तोत्र आपके घर और कार्यस्थल में सकारात्मक ऊर्जा फैलाता है। यह वातावरण को शुद्ध और शांत बनाता है।
  • आत्मविश्वास: नियमित पाठ से आत्मविश्वास बढ़ता है। यह व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने और मुश्किलों का सामना करने की प्रेरणा देता है।
  • सकारात्मक मानसिक दृष्टिकोण: श्लोक मन को एकाग्र करते हैं और जीवन की चुनौतियों को सकारात्मक तरीके से देखने में मदद करते हैं।
  • मन की शांति: तनाव, चिंता और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है। मन शांत और स्थिर रहता है।
  • धन और समृद्धि: यह स्तोत्र आर्थिक प्रयासों में सफलता और वित्तीय समृद्धि के लिए मार्गदर्शन देता है।

Note – भक्तामर स्तोत्र को अपनी दिनचर्या में शामिल करके आप न केवल भगवान आदिनाथ की भक्ति का अनुभव कर सकते हैं, बल्कि एक शांत, सकारात्मक और समृद्ध जीवन की ओर भी कदम बढ़ा सकते हैं।

FAQ

क्या भक्तामर स्तोत्र का महिमा कोई भी कर सकता है?

हां, कोई भी व्यक्ति कर सकता है, चाहे वह जैन धर्म का हो या किसी अन्य धर्म का।

क्या भक्तामर स्तोत्र का महिमा घर में किया जा सकता है?

क्या इस स्तोत्र का पाठ नियमित करना जरूरी है?

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